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गायत्री महायज्ञ में सफाई निरीक्षक सहित तमाम लोगों ने लिया आशीर्वाद
रविन्द्र कुमार
उरई, जालौन। राष्ट्र जागरण 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के अवसर पर राजकीय इण्टर कालेज उरई में प्रज्ञा योग ऋषभ गुप्ता द्वारा किया गया। इस दौरान लगभग 100 परिजन उपस्थित रहे।
प्रज्ञा योग के संबंध में बताया गया एवं उनके लाभ बताए गए। आचार्य श्रीराम शर्मा व माता भगवती की गुरु दीक्षा शान्तिकुंज से आए उनके प्रतिनिधि परमेश्वर साहू ने भरे पण्डाल में यज्ञ के पूर्व दिलाते हुए कहा कि आप लोगों के गुरु आचार्य श्रीराम शर्मा व माता भगवती देवी शर्मा हैं आप लोग मुझे अपना गुरु न मानें, मैं मात्र उनका एक प्रतिनिधि हूँ। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘गुरु कीजे जानकार, पानी पीजे छानकर’। उन्होंने बताया कि प्रथम गुरु माता-पिता, परिवार के बड़े सदस्य व शिक्षक वर्ग होते हैं।
सांसारिक जीवन से उठकर आध्यात्मिक गुरु के बारे में जान लेने के बाद ही उनकी दीक्षा लेनी चाहिए। गुरु ज्ञानी, तपस्वी और भवसागर से पार करने वाला होना चाहिए। दीक्षा के उपरान्त यज्ञ के पण्डाल में पंचकर्म के दौरान उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति का प्रतीक शिखा, रक्षा सूत्र (कलावा), चोटी, वेशभूषा, जनेऊ हैं।
गुरु गोविन्द सिंह के बच्चों के शिखा को न कटवाने पर विधर्मियों ने उन्हें जिन्दा दीवार में चुनवा दिया था किन्तु उन्होंने भारतीय संस्कृति के प्रतीक से कोई समझौता नहीं किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ डा. सुभाष गुप्ता, एमडी वर्मा, त्रिलोकी सिंह यादव, सतनाम सिंह, रविन्द्र पचौरिया ने सपत्निक देव पूजन से किया। तदोपरान्त अग्नि प्रज्वलित की गयी। अग्नि प्रज्वलन के उपरान्त कई पालियों में गायत्री यज्ञ किया गया।
कार्यक्रम गायत्री की प्रथम पाली में किया गया। यज्ञ की द्वितीय पाली में गर्भोत्सव संस्कार, नामकरण संस्कार, विद्या आरम्भ संस्कार आदि विधिवत यज्ञशाला में कराये गये। जिसमें नगर के प्रभुत्व एवं संभ्रान्त नागरिकों ने तन-मन से सहयोग ही नहीं किया बल्कि सक्रिय भागीदारी निभाई। धन्यवाद ज्ञापन महेश चन्द्र सैनी मुख्य ट्रस्टी ने किया। गायत्री यज्ञ में जनपद के बाहर झाँसी, ललितपुर, शिवपुरी, बाँदा, हमीरपुर, कानपुर के अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भागीदारी की।
यज्ञ स्थल पर गायत्री परिवार की लगभग 200 बहनें उपाचार कार्य में लगी हुई थीं। वहीं भोजनालय में यज्ञकर्ताओं के लिए प्रसाद ग्रहण करने की पूरी सुविधा दी। प्रसाद ग्रहण करने के उपरान्त निकास द्वार पर अमरूद का वितरण प्रत्येक व्यक्ति को घर जाते समय किया जा रहा था। शाम को 3 बजे के उपरान्त प्रवचन और संगीत के साथ विशाल दीप यज्ञ का आयोजन किया गया।
जिसमें 10 देव कन्याओं ने सजल श्रद्धा एवं प्रखर प्रज्ञा से जलती हुई लाल मसाल का जुलूस मंच तक निकाला गया। उसके बाद देर रात तक दीपयज्ञ की श्रृंखला जारी रही जिसमें लगभग १००८ से अधिक दीपों का प्रज्वलन रंगोली सजाकर किया गया। ज्ञान यज्ञ प्रचारक डा. रश्मि शुक्ला ने साहित्य प्रदर्शनी में दर्शकों को दिखाते हुए कहा कि गायत्री मंत्र अद्भुत सद्बुद्धि का दाता है। इसके जाप से तन-मन आत्मा परिशुद्ध होती है। मानव महामानव में परिवर्तित हो जाता है।
वर्तमान 108 कुण्डीय यज्ञ सभी जनपदवासियों के लिये कल्याणकारी होगा। आस-पास का वातावरण देवीयमान हो रहा है। इसकी प्रत्यक्ष अनुभूति इस समय हो रही है। इसके प्रभाव दूरगामी समय तक वातावरण में रहेगा। इससे प्राप्त देवीय अनुग्रह जड़-चेतन सबके लिए हितकारी होगा। देर रात तक सिटी मजिस्ट्रेट अपने दल बल के साथ यज्ञ स्थल पर जमे रहे। दर्शन के लिए लोगों का आना जाना देर रात तक बना रहा।








