एम्स के समीप अधिकांश मेडिकल स्टोरों पर नदारद रहते हैं फार्मासिस्ट

  • विभाग के जिम्मेदारों की मिलीभगत से मानकों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से चल रहे मेडिकल स्टोर

सन्दीप पाण्डेय
रायबरेली। सरकार ने गंभीर रोगों से ग्रसित मरीजों को सर्वसुलभ इलाज हेतु सस्ती दवाओं की बिक्री के लिए मेडिकल स्टोर और एजेन्सी का लाइसेन्स दिया जाता है। गौरतलब है कि मेडिकल स्टोर का लाइसेन्स देते समय सरकारी नियमावली के अनुसार दवा बिक्री के लिए अनुभवी फार्मासिस्ट की डिग्री लगाई जाती है।
विभागीय जानकारों की माने तो मेडिकल के लाइसेन्स को निर्गत करते समय शर्त यही रहती है कि दवाओं की बिक्री की जिम्मेदारी फार्मासिस्ट की होगी लेकिन सूत्रों की माने तो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पास खुले अधिकांश मेडिकल स्टोरों पर फार्मासिस्ट नदारद रहते हैं।
उनके मालिकों द्वारा बिना वैधानिक डिग्री वाले लड़कों से ही दवाओं की बिक्री कराई जा रही है। जिस ओर स्वास्थ्य महकमे के किसी अधिकारी का ध्यान नहीं जाता है। बीते कुछ वर्षों पूर्व इसी तरह का एक मामला प्रकाश में आया था जब एक मेडिकल स्टोर पर सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्ति ने डाक्टर के पर्चे पर लिखी किसी दूसरी दवा ही दे दी थी।
जिसको लेकर खूब हो हल्ला मचा था लेकिन उसके बाद स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदारों द्वारा लीपापोती करके मामले की इतिश्री कर ली गई थी। कोई कठोर कार्यवाही नहीं किये जाने से इन मेडिकल स्टोर के संचालकों के हौसलें बुलंद हैं। शायद यही कारण है कि धड़ल्ले से बिना डिग्रीधारक लड़कों से दवाओं की बिक्री कराई जा रही है।

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