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आरोप: कोविड काल में वकीलों के लिये जारी सहायता राशि में किया था खेल, बार काउंसिल उप्र ने लिया निर्णय
एस.एन. तिवारी
प्रयागराज। बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ने जौनपुर कलेक्ट्रेट अधिवक्ता समिति के अध्यक्ष मनोज मिश्र का अधिवक्ता पंजीकरण निलंबित कर दिया है। साथ ही महामंत्री लाल बहादुर यादव का भी पंजीकरण निलंबित किया गया है।
बताया गया कि कोविड कॉल के दौरान बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश की ओर से सभी बार संघों को वकीलों के लिए सहायता राशि प्रदान की गई थी लेकिन जौनपुर कलेक्ट्रेट अधिवक्ता समिति के अध्यक्ष ने वकीलों में यह धनराशि नहीं वितरित किया। इसकी शिकायत यूपी बार काउंसिल प्रयागराज में की गई थी। इसके बाद सोमवार को काउंसिल ने अध्यक्ष व महामंत्री के अधिवक्ता पंजीकरण निलंबित करने की पुष्टि कर दिया।
बार काउंसिल के सचिव की ओर से बताया गया कि पूर्व की तरह जांच की जारी रहेगी। प्रकरण की सुनवाई के लिए दोनों लोगों को समिति के सामने उपस्थित होंगे। जांच समिति अध्यक्ष व महामंत्री का अधिवक्ता लाइसेंस हमेशा के लिए निरस्त कर सकती है।
4 माह का दिया गया था मौका
दरअसल 18 जनवरी को बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश की सामान्य बैठक हुई थी जिसमें जौनपुर कलेक्ट्रेट अधिवक्ता समिति के अध्यक्ष मनोज मिश्र द्वारा वकीलों के लिए जारी सहायता राशि में गड़बड़झाला किए जाने के मामले में अहम निर्णय लिया गया।
जांच में पता चला था कि अध्यक्ष ने वकीलों को सहायता की धनराशि नहीं दी गई थी। 4 माह का मौका भी दिया गया था जिसमें बार काउंसिल ने कहा था कि 4 माह के अंदर यह धनराशि वकीलों में वितरित किया जाय या तो वह धनराशि बार काउंसिल को वापस किया जाय।
अध्यक्ष व महामंत्री द्वारा कुछ भी नहीं किया गया। वहीं अधिवक्ता संतोष उपाध्याय ने 6 जनवरी को बार काउंसिल में इसकी शिकायत भी की थी जिसमें कहा था कि कोरोना काल में वितरित की जाने वाली धनराशि की मांग की गई तो अपशब्दों का प्रयोग करते हुए भगा दिया गया था।