बोलो मेरे राम…

दुनिया रखती क्यों नहीं, आज विभीषण नाम।
तुम तो सब कुछ जानते, बोलो मेरे राम॥
वध दशानन कह रहा, ये भी तो इक बात।
करो विभीषण-सा नहीं, भाई पर आघात॥
गैरों से ज़्यादा कठिन, अपनों की है मार।
भेद विभीषण से गया, रावण लंका हार॥
भेद विभीषण ने दिए, गए दशानन हार।
जीती लंका राम ने, कर भाइयों में रार॥
वैरी से ज़्यादा किया, रावण पर यूं घात।
भेद विभीषण ने दिए, कही जिगर की बात॥
सौरभ विषधर से अधिक, विष अपनों के पास।
कभी विभीषण पर नहीं, करना मत विश्वास॥
दुश्मन में ताकत कहाँ, पकड़ सके जो हाथ।
कुंभकर्ण से तुम बनो, दो भाई का साथ॥
–डॉ. सत्यवान सौरभ

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