राघवेन्द्र पाण्डेय
अमेठी। डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई जहां डिलीवरी के लिए सरकारी अस्पताल गई एक महिला का बच्चा जननांग में ही फंस गया। ऑपरेशन के बजाय नॉर्मल डिलीवरी के चक्कर में डॉक्टरों ने महिला और बच्चे की जान को आफत में डाल दी।
जब बच्चा बाहर नहीं आ पाया तो डॉक्टरों ने उसे जिला अस्प्ताल रेफर कर दिया जहां डॉक्टर न मिलने पर परिजन महिला को लेकर प्रतापगढ़ पहुंचे जहां एक निजी अस्पताल में डॉक्टर ने ऑपरेशन के बाद बच्चे को बाहर निकाल दिया लेकिन बच्चा दूसरे दिन खत्म हो गया।
परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए थाने में तहरीर दी है। मामला संग्रामपुर थाना क्षेत्र के तारापुर गांव का है जहां की ओजस्वी सिंह को लेबरपेन होने के बाद 11 जनवरी को परिजन संग्रामपुर सीएचसी लेकर पहुँचे जहाँ डॉक्टरों ने गैस से दर्द होने का कारण बताकर मामले को रफा दफा कर दिया लेकिन दर्द बराबर बना रहा।
दूसरे दिन परिजन उसे लेकर फिर अस्प्ताल पहुँचे जहाँ उसे भर्ती कराया गया। कई घंटे बीत जाने के बाद भी डॉक्टर मौके पर नही पहुँचे तो अस्प्ताल में तैनात एक दाई और स्टाफ नर्स ने नंबर बढ़ाने के चक्कर में डिलीवरी की कोशिश शुरू कर दी।कुछ देर बाद बच्चे का सिर बाहर आगया लेकिन पूरा शरीर बाहर नही आ पाया और जच्चा बच्चा की हालत बिगड़ने लगी।
रात करीब 11 बज गए इस दौरान महिला की हालत बिगड़ने तब डाक्टर और नर्स ने हाथ खड़ा कर दिया।
मौके पर महिला डॉक्टर निधि और स्टाफ नर्स रेखा ने जवाब दे दिया और जिला अस्पताल रिफर कर दिया। परिजन किसी तरह महिला को लेकर जिला अस्प्ताल पहुँचे लेकिन वहां भी कोई डॉक्टर नही मिला जिसके बाद अनान फानन में परिजन महिला को लेकर प्रतापगढ़ के एक निजी अस्पताल पहुँचे जहाँ आपरेशन किया।
इस दौरान महिला के और बच्चे के शरीर में इन्फेक्शन फैल गया था। कड़ी मशक्कत करके बच्चे को बाहर निकालकर आईसीयू में रख दिया लेकिन कुछ समय बाद बच्चे की मौत हो गई। महिला के पति इंद्र कुमार ने पूरे मामले की शिकायत थाने में करते हुए मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजा है। वहीं पूरे मामले में अधिकारी मामले को ऱफा—दफ़ा करने में लगे हैं।
मृत नवजात बच्चे के पिता इंदर सिंह ने बताया कि अपनी पत्नी को लेकर सुबह 4 बजे अस्पताल आए जहां कोई डॉक्टर नहीं था। जब सुबह 10 बजे डॉक्टर आते है तो दर्द का इंजेक्शन लगाकर गैस की समस्या बताकर घर भेज देते हैं। अगले दिन जब लेकर आते हैं तो शाम तक बैठाए रहते हैं। उसके बाद डॉक्टर ताला बंद करके घर चले जाते है।
वहीं जब रात को डॉक्टर को बुलाया जाता है तो नहीं आती है और दाई बाहर हमारे बच्चे को नुकसान पहुंचा देती है जिससे बच्चा हमारा सूख जाता है और वे लोग हमको वहां से रेफर कर दिया जिसके बाद जब हम लोग प्राइवेट अस्पताल में ले गये जहां ऑपरेशन से बच्चा हुआ ओर उसकी मौत हो गई हमारी मांग है कि ऐसे लापरवाह डॉक्टर के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिये।
डॉक्टर की लापरवाही से मृत हुए नवजात बच्चे की मां ओजस्वी सिंह ने बताया कि जब हम अस्पताल गए तो हमको दर्द का इंजेक्शन देने के साथ ही दर्द की दवा दे दिया गया जब दूसरे दिन गए तो रात में 9 बजे हमको दिक्कत हुआ तो डॉक्टर को बुलाया गया तो कोई नहीं आया और दाई सो रही थी। जैसे ही डॉक्टर आई उन्होंने रेफर कर दिया जिसके बाद हम दूसरे अस्पताल में गये जहां ऑपरेशन से बच्चा हुआ ओर उसकी मौत हो गई।
वहीं इस पूरे मामले पर मुख्य चिकित्साधिकारी अंशुमान सिंह ने डॉक्टर की लापरवाही को बचाते हुए बताया कि डॉक्टर की कोई लापरवाही नहीं हुई है। 10 दिन पहले एक प्रसूता आई थी। उसे समय से रेफर कर दिया था। आरोप लगाने को कोई भी लगा सकता है।