शुभम जायसवाल
लखनऊ। 1 फरवरी को भारत सरकार द्वारा पेश किये जाने वाले बजट से व्यापारियों को बहुत उम्मीदें हैं। व्यापारियों को आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि इस बार पेश किए जाने वाले बजट से व्यापारियों के चेहरे खिल उठेंगे। उक्त बातें राजकुमार यादव प्रदेश अध्यक्ष सर्वहित व्यापार मण्डल उत्तर प्रदेश ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही।
साथ ही आगे बताया कि नये व्यवसाय शुरू करने वाले व्यापारियों के लिए पहले 3-5 वर्षों तक टैक्स में छूट या कम दरें की जाए, ताकि वे अपनी वित्तीय स्थिति स्थिर कर सकें। इससे नौकरी देने वाले छोटे व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा।
रिटेल सेक्टर के व्यापार को बचाने के लिए रिटेल ट्रेड पॉलिसी सरकार लाये। ई-कॉमर्स पर सख्त नियम बने। ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा डिस्काउंटिंग और प्राइस वार को नियंत्रित करने के लिए रेगुलेशन लागू हो। विदेशी कम्पनियों को भारतीय बाजार में एक सीमित हिस्सेदारी दी जाय जिससे भारतीय रिटेल सेक्टर को नुकसान न हो। ई-कॉमर्स पॉलिसी की मांग बहुत पुरानी है।
व्यापारियों को उम्मीद है कि शायद सरकार इस बार व्यापारियों की मांग को पूरा करेगी।श्री यादव ने बताया कि एलएलपी और पार्टनरशिप फर्म पर वर्तमान में टैक्स 30 प्रतिशत की दर है। पहले MLP में पास-थ्रू एंटिटी की सुविधा होती थी, यानी उन्हें कॉर्पोरेट टैक्स नहीं देना पड़ता था।
पार्टनर्स को अपनी व्यक्तिगत इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार कर देना होता था लेकिन अब अगर MLP को कॉरपोरेट टैक्स स्ट्रक्चर में डाला गया है तो 30% की दर से टैक्स लगाया जा रहा है, इसे कॉरपोरेट टैक्स के बराबर 22% किया जाना चाहिये। धारा 44AD भारत के आयकर अधिनियम, 1961 के तहत एक विशेष प्रावधान है जो छोटे व्यवसायों के लिए संभावित आय योजना प्रदान करता है।
इसका उद्देश्य छोटे व्यापारियों और पेशेवरों को कर अनुपालन में आसानी देना है। जिनका वार्षिक टर्नओवर या सकल प्राप्ति 2 करोड़ तक हो, वे इस योजना के तहत आते है। यदि टर्नओवर 2 करोड़ से अधिक हो जाता है, तो नियमित कराधान प्रणाली लागू होती है। इसे 2 करोड़ से बढाकर 5 करोड़ किया जाना चाहिए।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कॉमर्शियल लोन की दरें घटाई जाने की उम्मीद है।। कमर्शियल लोन की ब्याज दरों में कमी होने से व्यापारियों को कई फायदे मिल सकते हैं जिससे उनका व्यवसाय अधिक तेजी से बढ़ सकता है।
ब्याज दर कम होने से व्यापारियों को सस्ती दरों पर लोन मिलेगा जिससे उनकी कुल लागत घटेगी। वे बिना अधिक वित्तीय दबाव के अपने व्यापार में अधिक निवेश कर सकते हैं। ब्याज दर कम होने से मासिक EMI कम होगी जिससे व्यापार का नकदी प्रवाह सुधरेगा।
जब व्यापारियों को कम दरों पर लोन मिलेगा तो वे अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उत्पाद और सेवाएं दे सकते हैं। इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा। कमर्शियल लोन की ब्याज दरें घटने से व्यापारियों की वित्तीय सेहत मजबूत होगी, वे नए अवसरों में निवेश कर सकेंगे और इससे अर्थव्यवस्था में समग्र रूप से सुधार आएगा।
यह विशेष रूप से छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए फायदेमंद होगा जो महंगे लोन के कारण विस्तार नहीं कर पाते हैं।
उन्होंने कहा कि 5 करोड़ तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों को एक निश्चित स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया जाय तो यह टैक्स कंप्लायंस को सरल बनाएगा।
छोटे व्यापारियों को राहत देगा और व्यापार जगत को मजबूत करेगा। यह MSME सेक्टर को भी बढ़ावा देगा जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। व्यापार से जुड़े खर्चों जैसे ऑफिस रेंट, यात्रा, मार्केटिंग, सैलरी आदि पर टैक्स डिडक्शन मिले।
विदेशों की तरह Annual Investment Allowance लागू हो जिसके तहत व्यापार में नई मशीन, उपकरण या अन्य निवेश करने पर 100 प्रतिशत टैक्स छूट मिलती है।यह व्यापारियों को नए संसाधनों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
सरकार एक “डिजिटल इंडिया रिटेल प्लेटफॉर्म” लॉन्च करे जहां छोटे व्यापारी ऑनलाइन स्टोर बना सकें। छोटे दुकानदारों को सरकारी पोर्टल्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर व्यापार करने के लिए प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता दी जाय।