अमित कृष्ण शास्त्री ने सुनाई श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा, श्रोता हुए भाव—विभोर

रूपा गोयल
बांदा। श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास आचार्य अमित कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की जन्म की लीला का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक नहीं जन्म कहां हुआ है लेकिन हमें यह देखना है कि हमारा धर्म एवं कर्म कैसा है।
क्योंकि हमारे सनातन धर्म में कर्म की प्रधानता है। व्यक्ति नहीं उसका व्यक्तित्व महान होता है। हमारे यहां व्यक्तित्व एवं चित्र के पीछे जो चरित्र छिपा है उसकी पूजा होती है, इसलिए हम महापुरुषों के चित्रपट की पूजा करते हैं।
देवनगर, झील का पुरवा में चल रही भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास आचार्य अमित कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की जन्मोत्सव की लीला का वर्णन करते हुए कहा कि हमने सूर, कबीर, नानक, तुलसी, मीरा, रहीम, रसखान यह धर्म एवं कर्म में अग्रगण्य थे इसलिए समाज में आज भी आदर सम्मान के साथ हम इन्हें बंदन एवं अभिनंदन, जय जयकार करते हैं। आज भी इन महापुरुषों की जयंती मनाई जाती है। इसलिए ज्ञान, धान की भूसी की तरह सुलगना अच्छा नहीं। एक बार इस संसार में सूर्य की तरह प्रकाशित होकर अज्ञानता का अंधकार नष्ट कर दें।
उसी का नाम जीवन है। भक्त प्रहलाद का पावन चरित्र श्रवण कर कर बताया कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा जैसे मां पल-पल अपने बच्चों की रक्षा, सुरक्षा एवं हर व्यवस्था पर ध्यान बनाए रहती है उसी प्रकार भक्ति जब अपना सर्वस्व श्री हरि को समर्पित कर देता है तब भगवान उसको पल-पल स्मरण करते करते हुए उसकी रक्षा, सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। जिस परिवार में भक्त बालक का जन्म हो जाता है उसे मां की कोख धन्य-धन्य हो जाती है, एवं अनेक पीढियों का उद्धार हो जाता है। भागवत कथा पितरों को सद्गति प्रदान करती है।
जिसके परिवार में भागवत कथा का अनुष्ठान हो जाता है उस कुल के पितर तृप्त होकर अपने परिवार को सुख, शांति, वैभव कीर्ति प्रदान करते हुए आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पितृदोष का समन करती है श्रीमद् भागवत कथा। गृहस्थ धर्म का वर्णन करते हुए राम जन्म दर्शन करा कर बताया मुखिया को परिवार में बहुत कुछ त्यागना पड़ता है। नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की पर श्रोतागण झूम उठे। श्री कृष्ण जन्मोत्सव झांकी के दर्शन कराकर आरती के बाद प्रसाद वितरित किया गया।
आर्गन पर रवि द्विवेदी, पैड में रज्जन पांडेय, आचार्य सागर महाराज, संजय त्रिपाठी, तबला वादक त्रिपाठी रुद्र ने अपने संगीत के माध्यम से सब का मन मोह लिया। यजमान लालू प्रसाद व माया देवी, समाजसेवी राजकुमार याज्ञिक, वेद प्रकाश, बिहारी लाल, भानु प्रताप, सुरेश चंद्र, अश्वनी कुमार, डाक्टर प्रेम, राजेंद्र सविता सहित तमाम श्रोतागण मौजूद रहे।

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