भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी मनरेगा योजना

गोविन्द वर्मा
बाराबंकी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है, वहीं जिले की भ्रष्ट नौकरशाही योगी सरकार की जड़ों में मट्ठा डालने का काम कर रही है। मामला विकास खंड फतेहपुर का है जहां अधिकारियों की मिलीभगत से प्रधान मनेरगा में फर्जी हाजिरी लगाकर सरकार के मनसूबों पर पानी फेर रहे हैं। पंचायतों में जहां मनरेगा का कार्य चल रहा है। वहां कम श्रामिक लगाए जाते हैं और मस्टर रोल ज्यादा मजदूरों का भरा जा रहा है। कुछ ग्राम पंचायत में तो मनरेगा का कार्य ही नहीं चल रहा होता है और केवल फोटो खींचकर अपलोड करने से ही काम चला लिया जाता है।
ग्रामीणों की शिकायत पर उसे जांच कर कार्यवाही का आश्वासन देकर इतिश्री कर ली जाती है। अगर बात करें कार्रवाई की तो शिकायत करने के कई दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। मनरेगा भ्रष्टाचार के मामलों की हकीकत जानने के लिए स्थानीय संवाददाता ने ग्राम पंचायत साढ़ेमऊ में सुबह 11: 09 मिनट पर लंबुआ तालाब की खुदाई का नजारा देखा तो दंग रह गया। वहां पर केवल 9 मजदूर काम कर रहे थे जबकि मनरेगा पोर्टल पर ऑनलाइन 49 मजदूरों की हाजिरी दर्ज की गई थी। बीडीओ फतेहपुर से बात करने पर उन्होंने बताया कि बाकी मजदूर खाना खाने के लिए चले गए होंगे, इसलिए वहां पर मजदूर नहीं दिख रहे हैं। ग्राम पंचायत गंगौली में खुद रहे तालाब पर लगभग 11:45 बजे स्थिति और भी गंभीर नजर आई। गंगौली स्थित मांट तालाब की खुदाई में ऑनलाइन 102 मजदूरों की जगह दो-तीन मजदूर ही नजर आये। यह अलग बात है कि मौके पर 10-12 फावड़े और तसले पड़े हुए थे।

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