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उत्तर प्रदेश टैक्स बार एसोसिएशन ने चलाया प्रदेशव्यापी ‘निष्पक्ष न्याय अभियान’
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व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित करने के साथ ही सरकार की छवि धूमिल कर रहे एम. देवराज
आरएल पाण्डेय
लखनऊ। प्रमुख सचिव एम. देवराज की दूषित एवं तानाशाही कार्यशैली से जीएसटी विभाग में प्रदेश की लोकप्रिय सरकार स्वच्छ छवि का धूमिल होना एवं 2000 करोड़ के राजस्व को चूना उत्तर प्रदेश जीएसटी एवं वाणिज्य विभाग में कुछ समय से प्रशासनिक अत्याचार/अनाचार अपने परम चरम पर पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश टैक्स बार एसोसिएशन की निष्पक्ष न्याय अभियान समिति का आरोप है कि यह प्रदेश के प्रमुख सचिव राज्य कर एम. देवराज द्वारा न्यायिक कार्यप्रणाली एवं अन्य अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में नियम विरुद्ध किए जा रहे अनाधिकृत हस्तक्षेप से उत्पन्न स्थिति का परिणाम है। प्रदेश भर के कर अधिवक्ता श्री देवराज की दूषित एवं तानाशाही कार्यशैली से आक्रोशित हैं। इस कारण प्रांतीय संघ द्वारा प्रदेशव्यापी ‘निष्पक्ष न्याय अभियान’ चलाया जा रहा है।
सूबे की राजधानी लखनऊ में पत्रकारों से वार्ता करते हुये एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि एम. देवराज द्वारा विधि विरुद्ध की जा रही कुछ विवादास्पद कार्यवाहियां हैं जिनमें जीएसटी एवं वाणिज्य कर विभाग के अपीलीय एवं न्यायिक अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रत्यक्ष निर्देश जारी करना है। कर अपीलों के दैनिक निस्तारण की संख्या 5 से बढ़ाकर 50 करने का अव्यावहारिक आदेश है। जीएसटी अधिनियम की धारा 128A के तहत ब्याज एवं पेनल्टी माफी योजना को निष्प्रभावी करने के लिए अपीलीय अधिकारियों को निर्देशित करना है। कर विभाग के पक्ष में निर्णय लेने के लिए प्रत्यक्ष दबाव है। बिना नोटिस दिए ही टैक्स वसूली के नाम पर करदाता के बैंक से पैसे निकलना है।
इसी क्रम में इतिहास में पहली बार कर न्यायिक अधिकरण के सदस्य को प्रयागराज में अपर आयुक्त ग्रेड-1 का प्रशासनिक कार्यभार दिया गया है जो न्याय पालिका और कार्यपालिका के पृथक्करण के सिद्धांत का स्पष्ट उल्लंघन है। बीते 7 फरवरी को दिए गए मौखिक निर्देश दिए कि वर्ष 2020-21 के जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत धारा 73 के आदेशों की नियत अंतिम तारीख 28 फरवरी 2025 के स्थान पर 10 फरवरी 2025 (4 दिनों में जिसमें 2 दिन का सार्वजनिक अवकाश शामिल है) तक निस्तारण कर दिया जाय जो उनके क्षेत्राधिकार से बाहर है।
एम. देवराज की भूमिका पर गम्भीर सवाल दागते हुये एसोसिएशन ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 7 अगस्त 2023 को देवराज के संबंध में टिप्पणी की थी कि “उनको कानून का न्यूनतम ज्ञान है तथा स्पष्टतः वे वैधानिक रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं।” उच्च न्यायालय की इस गंभीर टिप्पणी के बावजूद श्री देवराज प्रदेश के राजस्व के प्रमुख स्त्रोत जीएसटी एवं वाणिज्य कर विभाग की न्यायिक कार्यप्रणाली एवं अन्य अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में लगातार अनाधिकृत हस्तक्षेप कर रहे हैं। कर विशेषज्ञों और विधि व्यवसाइयों ने इस गंभीर स्थिति का विश्लेषण करने के बाद चिंताजनक निष्कर्ष निकाले हैं। उनका मानना है कि यह स्थिति कर कानूनों एवं न्यायिक मामलों को संभालने में देवराज की घोर अक्षमता और व्यक्तिगत अहंकार का परिणाम है या फिर सरकार की छवि को धूमिल करने के लिए एक सुनियोजित राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है।
एम. देवराज द्वारा राज्य कर विभाग की न्यायिक व्यवस्था एवं अन्य अधिकारियों को बन्धक बनाकर उनके माध्यम से मनमानी करायी जा रही है जो कर आतंकवाद के सामान है। राजस्व संग्रह के चतुर रंग में वे न्यायिक प्रक्रिया को नष्ट कर रहे हैं। न्यायिक प्रक्रिया में इस अनावश्यक हस्तक्षेप एवं दबाव के कारण भ्रष्टाचार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। निवेशक वर्ग में बढ़ती आशंका ने निवेश माहौल को गंभीर क्षति पहुंचाई है। विशेष रूप से चिंताजनक है कि जनवरी 2025 में कुम्भ मेले के बावजूद राज्य का जीएसटी राजस्व लगभग 2000 करोड़ रुपये कम हो गया। देवराज की दूषित कार्यशैली न केवल वर्तमान व्यापारिक गतिविधियों को प्रभावित कर रही है, बल्कि प्रदेश की लोकप्रिय सरकार स्वच्छ छवि धूमिल होने के साथ राज्य के दीर्घकालिक विकास एवं राजस्व को प्रत्यक्ष नुकसान पहुंचा रही है।
विधि विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ऐसी कार्यवाहियां सरकार की मंशा के विपरीत हैं और इनसे सरकार की व्यापार-मैत्री नीतियों को गंभीर क्षति पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि देवराज को जीएसटी एवं वाणिज्य कर विभाग के पदभार से तुरंत अवमुक्त किया जाय। उनके विधि विरुद्ध एवं विवादित आदेशों की समीक्षा कर उन्हें निरस्त किया जाय। उनको उनके त्रुटिपूर्ण आदेशों से करदाताओं एवं सरकार को हुई आर्थिक क्षति के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जाय। कर विभाग में न्यायिक स्वतंत्रता की पुनः स्थापना किया जाय।
इस गंभीर स्थिति में हम सभी को मिलकर इस प्रशासनिक अत्याचार एवं अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी होगी। न्यायिक प्रक्रिया की स्वतंत्रता एवं पवित्रता को बनाए रखना हमारा परम कर्तव्य है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य कर विभाग पारदर्शी और न्यायसंगत तरीके से काम करें। अभी हम लोगों की लड़ाई की शुरुआत है, इसको हर हालत में अंजाम तक पहुंचाना है।
हम इस प्रशासनिक अत्याचार एवं अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर खड़े रहेंगे और न्याय की मांग करते रहेंगे। यदि स्थिति में तत्काल सुधार नहीं होता है तो संगठन के पास इस मामले को उच्च न्यायालय में ले जाना एक मात्र विकल्प होगा।
इस अवसर पर एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष रमेश प्रसाद जायसवाल, निवर्तमान प्रान्तीय अध्यक्ष सौरभ सिंह गहलोत, प्रान्तीय महामंत्री देवेन्द्र शर्मा, शूरसेन सिंह, रविशंकर राजपूत, अरूण प्रकाश मिश्रा, पीयूष सिंह गहलोत, सुमित वर्मा, विजय बहादुर श्रीवास्तव, महेश सक्सेना, सुशील मौर्य सहित तमाम विधि विशेषज्ञ उपस्थित रहे।