मुकेश तिवारी
झांसी। गुजरात साहित्य अकादमी, गांधीनगर तथा अचला एजूकेशन फाउंडेशन ट्रस्ट, अहमदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में केसीजी, गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद में आयोजित मातृभाषा महोत्सव सप्ताह के उद्घाटन सत्र में लोकसभा की पूर्व अध्यक्षा सुमित्रा महाजन की अध्यक्षता, गुजरात के शिक्षा मंत्री ऋषिकेश पटेल के मुख्य आतिथ्य तथा अचला फाउंडेशन ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ मफतभाई पटेल के संयोजन और सुश्री अनारा बेन पटेल के विशिष्ट आतिथ्य में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी के हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो पुनीत बिसारिया ने भारतीय भाषाओं और साहित्य में शिक्षण एवं संशोधन: स्थिति और संभावनाएँ विषय पर बीज वक्तव्य दिया। अपने व्याख्यान में प्रो. पुनीत बिसारिया ने कहा कि वर्ष 2020 में लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भारतीय भाषाओं में शिक्षण और साहित्यिक अध्ययन को गति प्रदान करने का कार्य किया है, जो भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में सार्थक उपक्रम है।
उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में परस्पर भाषांतरण के माध्यम से विभिन्न राज्यों की संस्कृति को एक दूसरे से समन्वय और जुड़ाव स्थापित करने में सहायता मिलती है और भारतीयता की एकात्म भावना को मजबूती मिलती है।मातृभाषा में शिक्षण पर बल देने से विद्यार्थियों में नवोन्मेष बेहतर हो सकता है क्योंकि मौलिकता मातृभाषा से ही प्राप्त की जा सकती है।
उन्होंने सुझाव दिया कि विभिन्न भारतीय भाषाओं के महत्वपूर्ण साहित्यकारों के रचना कर्म को एक प्रश्नपत्र के रूप में विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाना चाहिए और अनुवादकों को विभिन्न भारतीय भाषाओं में श्रेष्ठ तकनीकी पुस्तकें लिखने हेतु आगे आना चाहिए तभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है।
इस अवसर पर गुजरात साहित्य अकादमी गांधीनगर तथा के सचिव डॉ. जयेंद्र सिंह जाधव एवं अचला एजुकेशन फाउण्डेशन ट्रस्ट अहमदाबाद के ट्रस्टी धर्म श्वेतांक पटेल ने प्रो पुनीत को गुजरात साहित्य अकादमी के सम्मान से अलंकृत किया। कार्यक्रम का संचालन गुजराती के विख्यात लेखक डॉ. दधीचि ठाकुर ने किया। अकादमी के सचिव डॉ. जयेंद्र सिंह जाधव ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।