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इस सृष्टि के संहारकर्ता देवों के देव महादेव हैं, जिन्हें भोलेनाथ, शिवशंभू, भगवान शिव नामों से जाना जाता है। कहते है उन्हें खुश कर स्वर्ग जैसा आर्शीवाद पाने का दिन महाशिवरात्रि है। या यूं कहे महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का सबसे महत्वपूर्ण दिन है. हर साल यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दश तिथि को मनाया जाता है. दरअसल, चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है और इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। कहते है महाशिवरात्रि के दिन जो लोग भगवान शिव का पूजन करते हैं, भगवान भोलेनाथ उन पर विशेष कृपा बरसाते हैं. इस दिन महिलाएं जीवन में सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ और देवी पार्वती की पूजा करने से साधक के कष्टों का निवारण होता है और उसके भाग्य में भी वृद्धि के योग बनते है. इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी, बुधवार को है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा. खास यह है कि महाशिवरात्रि पर 149 साल बाद विशिष्ट संयोग बन रहा है, इसमें शिव संग शनि देव की कृपा भी बरसेगी और धन के कारक ग्रह शुक्र का भी साथ मिलेगा. इस बार शिवरात्रि के दिन सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में स्थित रहेंगे. तकरीबन 149 साल बाद इन तीनों ग्रहों की युति और महाशिवरात्रि का योग का संयोग बन रहा है. सुख, समृद्धि और शांति के योग बन रहे हैं. आने वाले समय में सनातनी पूरे विश्व में सकारात्मक फैलाने का काम करेंगे. सर्वे भवन्तु सुखिनः का संदेश फैलाएंगे। इस दिन अमृत स्नान जैसा महासंयोग होने से महाकुंभ में स्नान से सभी कष्ट दूर होते हैं. इसके अलावा मां गंगा के साथ भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलता है. महाकुंभ स्नान से पाप मिट जाते हैं. कुंडली में मौजूद पितृदोष भी दूर हो जाते हैं. ऐसा संयोग 1873 में बना था, उस दिन भी बुधवार को शिवरात्रि मनाई गई थी. उस दिन भी धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की मौजूदगी थी। सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे. यह एक विशिष्ट संयोग है, जो लगभग एक शताब्दी में एक बार बनता है, जब अन्य ग्रह और नक्षत्र इस प्रकार के योग में विद्यमान होते हैं. ज्योतिषियों की मानें तो इस प्रबल योग में की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है. पराक्रम और प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए सूर्य-बुध के केंद्र त्रिकोण योग का बड़ा लाभ मिलता है. इस योग में विशेष प्रकार से साधना और उपासना की जानी चाहिए. इस खास दिन पर आसमान में 7 ग्रह परेड करते दिखाई देंगे. यह अद्भुत और दुर्लभ खगोलीय घटना महाकुंभ के अंतिम स्नान को और भी खास बना देगी. इस दिन बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून एक साथ दिखाई देंगे. इसकी वजह से इस दिन का संगम स्नान कई मायने में अहम रहेगा. ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होंगे. विश्व में शांति, सद्भाव और खुशहाली आएगी
सुरेश गांधी
जी हां, महादेव की आराधना के लिए महाशिवरात्रि का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है. पूरे साल भगवान शिव से जुड़े कई व्रत और पर्व मनाए जाते हैं, लेकिन उनमें महाशिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. यह शिव भक्तों के लिए सबसे बड़े उत्सवों में से एक है, जिसमें श्रद्धालु भगवान शिव और माता पार्वती की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं. इस साल महाशिवरात्रि 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक सुबह 11ः08 बजे से शत्रु नाशक, परिघ योग और शुभ चौघड़िया में प्रारंभ होगा. धार्मिक ग्रंथ निर्णयसिंधु, धर्मसिंधु, स्कंद पुराण, लिंग पुराण और नारद संहिता के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि, जो आधी रात से पहले और बाद में होती है. वहीं महाशिवरात्रि के व्रत के लिए उपयुक्त मानी जाती है. अगर यह तिथि प्रदोष काल के समय हो, तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है. महाशिवरात्रि के दिन महादेव का जलाभिषेक का विशेष महत्व है. इस दिन सुबह 6 बजकर 47 बजे से सुबह 9 बजकर 42 बजे तक जल चढ़ाया जा सकता है. इसके बाद मध्यान्ह काल में भी सुबह 11 बजकर 06 बजे से लेकर दोपहर 12 बजक.र 35 बजे तक जल चढ़ाया जा सकता है. फिर, दोपहर 3 बजकर 25 बजे से शाम 6 बजकर 08 बजे तक भी जलाभिषेक किया जा सकता है. और आखिरी मुहूर्त रात में 8 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगा और रात 12 बजकर 01 बजे तक रहेगा. महाशिवरात्रि पर इस साल 24 घंटे शुभ मुहूर्त रहेगा. ग्रहों की ऐसी शुभ युति भी बनेगी, जिससे कुंभ स्नान का महत्व बढ़ जाएगा।
ग्रहों और नक्षत्रों के विशेष संयोग के चलते इस बार की शिवरात्रि बेहद पुण्यदायक बताई जा रही है. प्रयागराज महाकुंभ में तो इसका महत्व और भी कई गुना बढ़ गया है. ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक, महाकुंभ में महाशिवरात्रि पर मौनी अमावस्या से भी बेहतर विशेष संयोग बन रहा है. इस बार सूर्य का चुंबकीय प्रभाव बहुत ही दिव्य है. ऐसा दैवीय संयोग सैकड़ो सालों के बाद बन रहा है. इस बार की महाशिवरात्रि पर चतुर्ग्रहीय योग बन रहा है. इसमें शिवयोग भी शामिल है. महाशिवरात्रि पर शिवयोग बेहद फलदायक और कल्याणकारी होता. इस बार सारे ग्रह एलाइंड (संरेखित) हो रहे हैं. ग्रहों की ऐसी अद्भुत युति पहले शायद ही कभी आई हो. इस बार सारे ग्रह शुभ राशियों में है. इससे दुनिया में सुख शांति होगी. ग्रहों और नक्षत्रों का खास संयोग पूरे विश्व में सकारात्मक ऊर्जा पैदा करेगा. यह समूचे विश्व में सुख-शांति और खुशहाली लाएगा और दुनिया में नए वर्क आर्डर की रचना होगी. यह चतुर्ग्रही योग है, जो राजयोग और सन्यास देता है. सारे ग्रह शुभ राशियों में हैं. ग्रहों की वजह से गंगा यमुना की शक्ति भी कई गुना बढ़ जाती है. महाशिवरात्रि पर शांत मन से हृदय को पवित्र करते हुए मां गंगा को प्रणाम करें. आचमन करें, स्नान करें और समर्पण भाव से आए तो अहंकार समाप्त होगा और हर तरह से पुण्य प्राप्त होगा. ग्रहों के प्रभाव से अच्छे लोग शक्तिशाली होंगे. शिवरात्रि पर बनने वाला शिवयोग चमत्कारिक और अद्भुत योग है. यह पूरे भारत और विश्व के लिए सकारात्मक रूप से चौंकाने वाला होगा. ग्रहों की शक्तियां संगम के जल को और अधिक प्रभावी व ऊर्जावान करेंगी. श्रद्धालुओं का रोम रोम सकारात्मक ऊर्जा से भरेगा और ज्ञान का संचार होगा. यह समस्त पापों को नष्ट करके आत्मा परमात्मा का बोध कराएगा. बीमारियां दुर्भाग्य और दुख से भी मुक्ति मिलेगी.
धन के दाता शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेंगे, जिससे मालव्य राजयोग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही मीन राशि में शुक्र की राहु के साथ युति हो रही है। इसके अलावा कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति हो रही है। पिता-पुत्र की युति होने से कई राशियों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा कुंभ राशि में बुध भी विराजमान है, जिससे तीनों ग्रहों की युति से त्रिग्रही योग और सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग और शनि के अपनी मूल त्रिकोण राशि में होने से शश राजयोग का निर्माण हो रहा इसके अलावा इस दिन शिव के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। भगवान सूर्य जगत की आत्मा है. हमारे नवग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं. पृथ्वी उनकी परिक्रमा कर रही है. हम सब सूर्य की परंपरा कर रहे हैं. इसी को यज्ञ पुरुष कहा गया है. ऋग्वेद में सूर्य को यज्ञ पुरुष कहा गया है. कहीं न कहीं सूर्य की जो सकारात्मक गुरुत्वाकर्षण शक्ति महाकुंभ में रही है ये पूरी तरह से महाशक्तिशाली योग बना रही है. महाशिवरात्रि के बाद महाकुंभ का कोई मतलब नहीं है. इसी समय तक ग्रहों का उच्चाभिलाषी प्रभाव रहेगा और उसके बाद समाप्त हो जाएगा. ग्रहों की ताकत केवल महाशिवरात्रि तक रहेगी. वैसे भी प्रयागराज संगम की धरती है. पुण्य भूमि है. यहां गंगा स्नान से सदा ही अच्छा फल मिलता है. चुंबकीय ग्रहों का प्रभाव जिसके कारण कुंभ लगता है, वह समाप्त हो जाएगा. 26 तक ही अक्षुण्य लाभ रहेगा. इसके बाद गंगा का स्नान सामान्य फल