रूपा गोयल
बांदा। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम, द्वितीय, तृतीय इकाई के विशेष कार्यक्रम के अंतर्गत सात दिवसीय विशेष शिविर के दूसरे दिन कार्यक्रम अधिकारी डा. सबीहा रहमानी, डा. जयंती सिंह, डा. नीतू सिंह ने स्वयंसेवी छात्राओं के साथ दलित बस्ती दरी मोहाल, बारी मोहल्ला और अहीर मोहल्ले में जाकर आज के विषय मिशन शक्ति एवं बालिका विकास पर सर्वेक्षण करवाया।
छात्राओं ने आपने सर्वक्षण में बस्ती वालों महिलाओं और बालिकाओं से उनकी शिक्षा के बारे में पूछा। शिक्षा की स्थिति यह है कि इन बस्तियों की अधिकांश लगभग 60 प्रतिशत बालिकाएं स्कूल नहीं जातीं। शिक्षा के साथ आज भी बालिकाओं के खान-पान तक में अन्तर किया जाता है। यहाँ तक इस अंतर की बात स्वयं महाविद्यालय की 50 प्रतिशत छात्राओं ने भी समूह संवाद के समय स्वीकार करी।
तीनों दलित बस्ती में गंदगी का अपार अंबार मिला।
शिविर को प्राचार्य प्रो. दीपाली गुप्ता की अध्यक्षता में कार्यक्रम अधिकारी डा. सबीहा रहमानी, डा. जयंती सिंह, डा. नीतू सिंह द्वारा आयोजित किया गया है। सात दिवसीय विशेष शिविर के दूसरे दिन द्वितीय सत्र में इसी विषय ष्मिशन शक्ति बालिका विकासष् में संगोष्ठी का आयोजन हुआ।
मुख्य वक़्ता के रुप में मीनू सिंह ज़िला प्रोबेशन अधिकारी उपस्थित रहीं जिन्होंने बालिका विकास पर सविस्तार प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी सरकार द्वारा संचालित ष्बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओष् योजना द्वारा इस दिशा में बहुत कार्य किये जा रहे हैं। संगोष्ठी का संचालन और अध्यक्षता नोडल अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना जनपद बांदा डा. सबीहा रहमानी ने किया।
अतिथि के रुप में चिराग फाउंडेशन के सह-संरक्षक अकील अहमद खान उपस्थित रहे जिन्होंने स्वयंसेवी छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें अपनी बेटियों पर विश्वास करते हुए हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर देना चाहिए।
उनके साथ रोक-टोक न करके किसी तरह के बाधक न बनकर मात्र उनके सहगामिनी बने। कार्यक्रम की संरक्षकता/अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. दीपाली गुप्ता ने किया। विशिष्ट वक्ता के रूप डा. सपना सिंह एवं डा. सचिन मिश्रा ने स्वयंसेवी छात्राओं और बस्ती के लोगों को सम्बोधित किया।
डा. जयंती सिंह ने कहा कि महिला एवं बालिका विकास की दिशा में समग्र समाज को रुढ़िवादी ढांचे से बाहर आकर उन्हें शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करना चाहिए। कार्य योजना के साथ कार्य करने की प्रेरणा दे रही हैं। डा. सबीहा रहमानी ने भी संगोष्ठी में अपनी बात रखते हुए कहा कि सिर्फ बेटों से नहीं हुआ करता घर में उजाला बेटियां होती हैं, पुरनूर चिराग़ों की तरह।
उन्होंने बताया कि हमें महिलाओं/बालिकाओं को अपने अंदर का भय निकालकर पूरे आत्मविश्वास के साथ शिक्षा और अपनी अन्य गुणों का विकास करना चाहिए। स्वयंसेवी छात्रा मेधावी, यशी आकांक्षा, प्रियांशी, अंजलि, काशिफा, नौरीन, चेतना उज्जवल आदि टीम बनाकर दलित बस्तियों में बालिका शिक्षा और विकास के लिए जागरूक किया।