आरएल पाण्डेय
लखनऊ। कृषि क्षेत्र के लिए एक अभूतपूर्व विकास की दिशा में लखनऊ स्थित सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) के वैज्ञानिकों ने विश्व के पहले आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) कपास पौधे को बनाने में सफलता हासिल की है जो पिंक बॉलवर्म (पीबीडब्ल्यू) के लिए पूरी तरह से प्रतिरोधी है। पिंक बॉलवर्म एक कीट हैं जिसने भारत, अफ्रीका और एशिया में कपास की खेती करने वाले किसानों को लंबे समय से परेशान करता रहा है।
भारत में वर्ष 2002 में जी. एम. कपास के आने के बाद सेंट लुइस, यू.एस.ए. की कंपनी मोनसेंटो के साथ संयुक्त रूप से विकसित बोलगार्ड 1 और बोलगार्ड 2 जैसी किस्मों ने कुछ बोलवर्म प्रजातियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता लाने में काफी प्रयास किया है। हालांकि समय के साथ इन किस्मों ने पिंक बोलवर्म (पी.बी.डब्लू.) के खिलाफ पूर्ण प्रतिरोधकता हासिल करने में असमर्थ रही हैं। पिंक बोलवर्म को भारत में स्थानीय रूप से गुलाबी सुंडी के रूप में जाना जाता है। समय के साथ पिंक बोलवर्म ने इन किस्मो में उपयोग किए जाने वाले क्राई। एसी और क्राई 2एबी प्रोटीन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को भी विकसित कर लिया है जिससे भारत में कपास की पैदावार में काफी गिरावट दर्ज की गयी है।
इस महत्वपूर्ण कमी को दूर करते हुए सीएसआईआर-एनबीआरआई के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. पी.के. सिंह एवं उनकी टीम द्वारा एक नए कीटनाशक जीन विकसित किया गया है। यह स्वजनित जीन, पिंक बोलवर्म के विरुद्ध अधिक रूप से प्रभावी है एवं इसका पिंक बोलवर्म प्रतिरोधक क्षमता के लिए पूर्व विकसित बोलगार्ड 2 कपास की तुलना में सफलतापूर्वक परीक्षण भी किया गया है। संस्थान में हुए विभिन्न प्रयोगशाला परीक्षणों से हमे यह भी पता चला कि नया जी एम् कपास पिंक बोलवर्म के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी है। साथ ही अन्य कीड़ों जैसे कपास के पत्ते के कीड़े और फॉल आर्मीवर्म से भी सुरक्षा प्रदान करता है।
इस अग्रणी तकनीक की क्षमता को पहचानते हुए नागपुर स्थित कृषि-जैव प्रौद्योगिकी कंपनी मेसर्स अंकुर सीड्स प्राइवेट लिमिटेड को सीएसआईआर-एनबीआरआई की इस तकनीकी का हस्तांतरण किया गया है। अंकुर सीड्स विनियामक दिशा-निर्देशों के अनुसार सुरक्षा अध्ययनों पर सहयोग करेगा और अपने स्वामित्व वाली संकर कपास किस्मों में एनबीआरआई तकनीक के साथ क्षेत्र परीक्षणों से व्यापक बहु स्थान डेटा उत्पन्न करेगा। एक बार जब ये अध्ययन तकनीक की सुरक्षा की पुष्टि करेंगे तो बीजों को आगे की विविधता और संकर विकास के लिए कई बीज कंपनियों को लाइसेंस दिया जाएगा जिससे व्यापक व्यावसायीकरण हो सकेगा।
जैसा कि भारत राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाता है। इस स्वदेशी, विश्व स्तर पर अद्वितीय जीएम तकनीक की रिहाई टिकाऊ कृषि में एक महत्वपूर्ण छलांग है। गुलाबी बॉलवर्म के लगातार खतरे से कपास की रक्षा करके सीएसआईआर-एनबीआरआई का नवाचार न केवल लाखों किसानों की आजीविका की रक्षा करता है, बल्कि दुनिया भर में कीट प्रतिरोध के लिए एक नया मानदंड भी स्थापित करता है। यह सफलता आत्मनिर्भर भारत के बैनर तले भारतीय नवाचार का एक शानदार उदाहरण है जो उच्च पैदावार, बेहतर किसान आय और स्वच्छ पर्यावरण का भविष्य का वादा करता है।