मुकेश तिवारी
झांसी। नोटक्षीर बनगुवां बरूआसागर स्थित गिरवरधारी जू महाराज के 25वें पावन प्राकट्य महा महोत्सव एवं श्री हनुमंत महायज्ञ के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास बुंदेलखण्ड धर्माचार्य महंत राधामोहन दास महाराज ने कहा कि भगवान तो भाव के भूखे होते हैं। भगवान कृष्ण ने दुर्योधन के मेवा त्यागे शाग विदुर घर खाई। सबसे ऊंची प्रेम सगाई। उन्होंने सुंदर भजन सुनाया जिसे सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये।
सदगुरु की महिमा का बखान करते हुए वे कहते हैं कि सद्गुरु के चरणों की कृपा के चलते हमें बैकुण्ठ की प्राप्ति हो जाती है, किंतु मन की चंचलता के कारण मन सत्संग में नहीं लगता है। प्रात:कालीन बेला में यज्ञाचार्य रामलखन उपाध्याय एवं पं. अनिल तिवारी ने गणेश पूजन, कलश पूजन,व्यास पीठ पूजन एवं पुराण पूजन विधि विधान से कराया।
इससे पूर्व पारीछित मृदुल तिवारी, ममता अजय अग्रवाल, दीर्घा विजयी चौधरी, गीता राजेंद्र अग्रवाल, मुस्कान धीरज कुशवाहा, रमा आशाराम कुशवाहा, राजेश्वरी कोमल सिंह सिजरिया, जयकुंवर लालाराम कुशवाहा, सुनीता रामसिंह, फूलवती बृजमोहन साहू, रज़नी मारुति दीक्षित एवं गिरवरधारी जू मंदिर के पुजारी मदनमोहन दास एवं राधाबल्लभ महाराज श्रीधाम वृंदावन ने महाराजश्री का माल्यार्पण कर श्रीमद्भागवत पुराण की आरती उतारी। अंत में व्यवस्थापक परमानंद दास ने सभी का आभार व्यक्त किया। रात्रि में श्रीधाम वृंदावन धाम से पधारे श्रीहितआदर्श कृष्णकला भक्तमाल चरित्र रामलीला मंडल के कलाकारों ने स्वामी देवेन्द्र वशिष्ठ के निर्देशन में भगवान के वनवास की लीला का मनमोहक मंचन किया।


















