जफराबाद, जौनपुर। बड़े ही भाग्य से मानव जन्म मिलता है। मानव को अपने जीवन में दान, धर्म, कर्म, अच्छे सत्कर्म तुरंत करना चाहिए और संघर्ष को कल पर टाल देना चाहिए। हो सकता है कि समझौता हो जाय और कई परेशानियों से बचा जा सकता है। उक्त बातें स्थानीय क्षेत्र के पाण्डेय पट्टी के इमलो शिव मंदिर प्रांगण में आयोजित सात दिवसीय श्रीराम महोत्सव के दूसरे दिन वाराणसी से पधारे मानस कोविद डा मदन मोहन मिश्र कही। साथ ही आगे कहा कि बाहर की सुंदरता से अंदर की सुंदरता ज्यादा आवश्यक है, क्योंकि सुंदर तन वाले को भगवान् के पास जाना पड़ता है और सुंदर मन वाले के पास भगवान् स्वयं चलकर जाता है। बालि अंदर से प्रेम और बाहर से कठोर बोलता है। “हृदय प्रीति मुख बचन कठोरा” लेकिन आज लोग मुख से मीठा बोलते हैं और हृदय में कठोरता भरे रहते हैं।
बालि मरते समय अपने बेटे अंगद का हाथ भगवान राम के हाथ में सौंपते हुये बताया कि हमें भी अपने बच्चों को धर्म संस्कृति और संस्कार से जोड़ना चाहिए। प्रतापगढ़ से पधारे मानस प्रवक्ता आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि भगवान धर्म की स्थापना के लिए अवतार लिया करते हैं। रावण लोगों को बाहर से नहीं, बल्कि अंदर से राक्षस बना रहा था। माता—पिता, गुरु, श्रेष्ठजनों का समादर करना ही भक्ति है। ईश्वर उसी की सहायता करता है जो अपने कर्मों को ईमानदारीपूर्वक करता है। मंच का संचालन महेंद्र शास्त्री ने किया। विद्वानों का स्वागत व्यवस्थापक शीतला प्रसाद मिश्र ने किया। इस अवसर पर रामचंद्र शास्त्री, सत्य नारायण सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।