संदीप सिंह
प्रतापगढ़। राणा प्रताप पी०जी० कॉलेज के समाज शास्त्र विभाग द्वारा परास्नातक स्तर के छात्र-छात्राओं के लिए एक विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का विषय “वक्फ विधेयक: एक समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य” था। इस मौके पर विभागाध्यक्ष डॉ. बृजेश सिंह ने विधेयक की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सामाजिक प्रभाव तथा इसके विधिक आयामों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि “वक्फ अधिनियम मुस्लिम समाज की सामाजिक संरचना, धार्मिक संस्थाओं और संपत्ति प्रबंधन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विधिक दस्तावेज है जिसकी सम्यक समझ समाजशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत आवश्यक है। वक्फ संपत्तियाँ केवल धार्मिक या सांस्कृतिक धरोहर नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक न्याय और जनकल्याण से भी जुड़ी हुई हैं। इनका न्यायोचित प्रबंधन एवं उपयोग सामाजिक संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकता है।
इस मौके पर डॉ. अखिलेश सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर ने विधेयक के सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता से जुड़े पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि “वक्फ अधिनियम केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों का संवैधानिक संरक्षण भी है। यह अधिनियम भारत की धर्मनिरपेक्ष परंपरा को मजबूत करता है। असिस्टेंट प्रो विरेन्द्र गुप्त ने छात्रों को विधेयक की व्यावहारिक जानकारी के साथ इसके सामाजिक प्रभावों की विवेचना करने हेतु प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि समाज शास्त्र के विद्यार्थियों को इस तरह के विधायी दस्तावेजों की समाजशास्त्रीय व्याख्या अवश्य करनी चाहिए, ताकि वे सामाजिक संस्थाओं के वास्तविक स्वरूप को समझ सकें। इस प्रकार की शैक्षणिक गतिविधियाँ न केवल विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता को विकसित करती हैं, बल्कि उन्हें समाज के समकालीन मुद्दों को समझने की दृष्टि भी प्रदान करती हैं। कार्यक्रम में एम०ए० समाज शास्त्र के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उन्होंने विषय से संबंधित अपने विचार प्रस्तुत किए और वक्ताओं से वक्फ विधेयक पर प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। कार्यक्रम के समापन पर विरेन्द्र गुप्ता ने सभी वक्ताओं और छात्र-छात्राओं का आभार व्यक्त किया।