सांसद, विधायक, मंत्री व पालिकाध्यक्ष सबकी कोठियों से दूर रायबरेली का विकास

सांसद, विधायक, मंत्री व पालिकाध्यक्ष सबकी कोठियों से दूर रायबरेली का विकास
  • न रोड है, न नाली है, न ही कोई सुविधा है फिर भी विकास के दावे हैं

सन्दीप पाण्डेय
रायबरेली। जनपद का विकास मजबूत जनप्रतिनिधियों के हाथों में हैं। लंबे समय से लोकसभा में रायबरेली का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार के लोग हो, लंबे समय से अपनी कोठी से विधायकी चलाने वाली अदिति सिंह हो या फिर लंबे समय से जिला पंचायत को अपने हाथों में रखने वाले और राज्य के मंत्री दिनेश सिंह हो। यह सभी मंचों पर रायबरेली के विकास की लंबी-लंबी गाथाएं गाते हैं। कोई चिराग बनकर चमक रहा है तो कोई नेता नहीं सेवक चुने का स्लोगन लेकर पालिका अध्यक्ष बने। इन सभी से जनता नाराज नज़र आ रही है। कई ऐसे वार्ड हैं जहां पर भारी असुविधाएं हैं। सड़के टूटी हैं, नालियां भरी हैं, सीवर लाइन चोक है, पानी आ नहीं रहा है, इस तरह की तमाम समस्याओं से यह शहर जूझ रहा है।
बरवारीपुर की बात करें तो लगभग 5 साल से यहां के लोग कच्चे मार्ग पर चलने के लिए मजबूर हैं। इन सभी जनप्रतिनिधियों के मोहल्ला में नियुक्त प्रतिनिधि इनकी चाटुकारिता तो करते हैं लेकिन स्थानीय अव्यवस्थाओं को व्यवस्थाओं में बदलने की कोई व्यवस्था नहीं करते हैं। बस ढोल मंजीरा लेकर नेताजी की चाटुकारिता गाते नजर आते हैं। नेता जी उनके खास चाटुकार और खानदान वाले सैकड़ो बीघा जमीन के मालिक हो जाते हैं। ठेकेदारी के माध्यम से करोड़ों रुपए कमाकर जमा कर लेते हैं लेकिन आम जनता के लिए कोई व्यवस्था नहीं दे पाते हैं। रायबरेली का दुर्भाग्य है कि यहां के नेता खुद के लिए तो सरकार में पैरोकारी तो कर लेते है पर जनता के लिए कोई पैरोकारी नहीं करते हैं।
नेताओं की इन्हीं कारगुजारियों के कारण जनता ने नगर पालिका के चुनाव में एक नए आदमी को चुनने का मन बनाया। लेकिन कुर्सी में बैठते ही नगर पालिका अध्यक्ष शत्रुघ्न सोनकर को भी राजनीति का चस्का लगा और जनता उनसे भी नाराज हो गई। जिले के उच्च पदों पर बैठे नेता जी व उनके चाटुकार सहित उनके परिवार का बच्चा भी 50 लाख की लग्जरी गाड़ी से चलता है। इसलिए इन्हें नहीं पता कि जब टूटी सड़कों पर आम आदमी का रिक्शा या फिर मोटरसाइकिल गड्ढे में घुस जाती है तो रीड की हड्डी तक कांप जाती है लेकिन नेता जी का कुछ नहीं बिगड़ा क्योंकि उनकी गाड़ी में लग्जरी पार्ट लगे हुए हैं जिनकी कीमत लाखों में है।
सत्ता में बैठे मलाई खाने वाले रायबरेली के नेता यह समझ लें कि वह और उनके समर्थन में चुनाव लड़ने वाले लोग अब जनता की पसंद नहीं रहे हैं। नगर पालिका चुनाव सहित कई ऐसे चुनाव हैं जिन्होंने यह साबित किया है ऐसे नेता आम जनता का चुनाव नहीं जीत पाएंगे। यह बात तो तय नजर आती है जिस तरह से जनता नाराजगी व्यक्त कर रही है। जनता मूलभूत समस्याओं के लिए जूझ रही है और जिम्मेदार कागजी कोराम पूरा करने में लगे हुए हैं। नगर पालिका हमेशा अपने कार्यों को लेकर सुर्खियों में रहता है क्योंकि उसका विकास कार्य केवल कागजों पर किया जाता है।
जमीनी स्तर पर वह विकास दिखाई नहीं पड़ता है। नगर पालिका में 34 वार्ड हैं जिसमें से ज्यादातर वार्डों में न तो अच्छी रोड़े है, न ही पानी की सुचारू व्यवस्था है और न ही पानी निकासी की कोई सुविधा है लेकिन नगर पालिका विकास की गंगा बहा रही है क्योंकि यह विकास कागजों में तो दिख रहा है जमीनी स्तर पर नहीं। जिसके लिए तेजस टूडे की टीम वार्ड नंबर 1 का जायजा लेने पहुंची तो वहां पर जनता रोड पर खड़े होकर नगर पालिका मुर्दाबाद, जिला प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगा रही थी और वहां की जनता ने तेजस टूडे की टीम को गांव की स्थिति के बारे में बताया। जहां पर मूलभूत मिलने वाली सुविधाओं की कमी दिखी। वहां की जनता ने बताया कि हम लोग नगर पालिका क्षेत्र में लगभग 45 साल से हैं लेकिन हमें खाली नगर पालिका क्षेत्र में जोड़ा रखा गया है। हमें न ही अच्छी रोड मिल पाई है, न ही हमें पानी की व्यवस्था होती है और न ही पानी निकासी की कोई सुचारु व्यवस्था की गई है। हम नगर पालिका क्षेत्र में तो हैं लेकिन यहां की स्थितियां किसी गांव से बत्तर स्थिति से कम नहीं है। हमें मिलने वाली कोई भी सुविधा यहां नहीं मिलती है। केवल अधिकारी और जन प्रतिनिधि आते हैं, आश्वासन देते हैं और चले जाते हैं।
अतिक्रमण पर निष्क्रियता
शहर में सड़कों के किनारे अतिक्रमण एक बड़ी समस्या बन चुका है। दुकानों और अवैध निर्माणों के कारण यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है। नगर पालिका द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए कई बार अभियान शुरू किए गए, लेकिन ये प्रयास अधूरे रह गए।
भ्रष्टाचार और मनमानी के आरोप
नगर पालिका की बोर्ड बैठकें हाल के दिनों में हंगामे का केंद्र रही हैं। सभासदों ने अध्यक्ष और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और मनमानी करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। इन बैठकों में नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन आम हो गए हैं जो नगर पालिका के भीतर असंतोष को भी बताता है। सभासदों का कहना है कि जनता की समस्याओं पर ध्यान देने के बजाय व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता दी जा रही है।
स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं का अभाव
शहर में गंदगी और नालियों की बदहाली भी नगर पालिका की उदासीनता का एक प्रमुख उदाहरण है। कई इलाकों में नालियां बजबजा रही हैं और साफ-सफाई की व्यवस्था न के बराबर है। नागरिकों का कहना है कि उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होती। इसके अलावा, पार्किंग की कमी और बाजार क्षेत्रों में अव्यवस्था भी नगर पालिका की लापरवाही को दर्शाता है।

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