मुकेश तिवारी
झांसी। नोटक्षीर बनगुवां बरूआसागर स्थित गिरवरधारी जू महाराज के 25 वें पावन प्राकट्य महा महोत्सव एवं श्री हनुमंत महायज्ञ के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के छटवें दिवस का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास बुंदेलखण्ड धर्माचार्य राधामोहन दास महाराज ने कहा कि परमात्मा को सरल स्वाभव के लोग प्रिय हैं। गोस्वामी तुलसीदास मानस में लिखते हैं “निर्मल मन मोहि सोई जन पावा, मोहि कपट,छल, छिद्र न भावा।” भगवान से जो लोग प्रेम करते हैं वे सर्वदा सुखी रहते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम परमात्मा के चरणों में अनुराग करते हैं तो निश्चित तौर पर ईश्वर हमारे जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं। भगवान से प्रेम करने वालों का न तो बाहर के शत्रु और न ही भीतर के शत्रु जैसे काम,क्रोध,लोभ, मोह व अहंकार आदि कुछ नहीं बिगाड सकते हैं।
भगवान श्री कृष्ण के महारास की पावन कथा का प्रसंग सुनाते हुए महंत ने कहा कि गोपी कोई स्त्री अथवा पुरुष नहीं वह तो प्रभु के प्रेम में स्वयं को भूल कर प्रभु से मिलने की भावपूर्ण स्थिति है। भगवान के महारास में त्रिकालदर्शी भगवान शंकर मां पार्वती के साथ गोपी बनकर आये हैं। उन्होंने सुंदर गोपी गीत गाया जिसे सुन श्रोता झूम उठे। अपने श्रीमुख से ज्ञान गंगा की अमृत वर्षा करते हुए कथा व्यास ने कहा कि श्रद्धा और विश्वास के बिना परमात्मा के महारास में प्रवेश नही किया जा सकता है।भगवान श्री कृष्ण के महारास में शिवजी पार्वती रुपी श्रद्धा के साथ प्रवेश करते हैं। कहने का भाव है कि परमात्मा को पाने के लिये रुप भी बदलना पडे तो बदल लेना चाहिए। गोपी उद्धव प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि प्रेम में संयोग और वियोग दोनों की बडी भूमिका होती है। जीवन में जब काम,क्रोध, लोभ,मोह आ जाये तो पास में बैठा परमात्मा भी छोडकर दूर चला जाता है।
कंस वध का प्रसंग सुनाते हुए वे कहते हैं कि श्री कृष्ण को मथुरा ले जाने वाले पात्र का नाम अक्रूर है अर्थात जो क्रूर नहीं है वही भगवान को अपने साथ ले जाने में सक्षम हो सकता है।रुक्मणि विवाह के प्रसंग पर उन्होंने सुंदर भजन सुनाया” आओ री सखियां हमको सजाओ हमें श्याम सुंदर की दुल्हन बनाओ।” जिसे सुन श्रोता खूब झूमे।