रामनगरी में बनेगा इस्कॉन भव्य मन्दिर

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  • तीन दिवसीय धार्मिक यात्रा में शामिल हुये 400 लोग

राजेश श्रीवास्तव
अयोध्या। भगवान श्रीराम की नगरी में बनेगा इस्कॉन भव्य मंदिर अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ, इस्कॉन तीन दिवसीय अयोध्या धार्मिक यात्रा के दौरान भक्ति प्रेम स्वामी महाराज एवं भक्ति अर्जव प्रीति वर्धन स्वामी महाराज प्रेस से मुखातिब हुए और बताया।इस तीन दिवसीय यात्रा का उद्देश्य भक्तों को आध्यात्मिक रूप से उत्साहित करना तथा भगवान श्रीराम के आदर्शों एवं हरिनाम के प्रचार को जनमानस तक पहुँचाना था। यात्रा में लगभग 400 भक्तों ने भाग लिया जो उज्जैन, गुरुग्राम, सीकर, पुणे, वडोदरा, सूरत, वाराणसी, कोलकाता सहित अन्य नगरों से पधारे थे। यात्रा के दौरान भक्तों ने श्रीराम जन्मभूमि, कनक भवन, हनुमानगढ़ी आदि पावन स्थलों का दर्शन किया तथा नगर में हरिनाम संकीर्तन करते हुए भव्य कीर्तन यात्राएं निकालीं जिससे सम्पूर्ण अयोध्या हरिनाममय हो उठी।
भक्ति अर्जव प्रीति वर्धन स्वामी जो मूल रूप से रूस से हैं, वर्ष 2000 से भारत में निवास कर रहे हैं, वे श्रीधाम मायापुर में सक्रिय सेवा में संलग्न हैं जहाँ वे सनातन धर्म, श्रीमद्भागवत, एवं भक्तियोग की गूढ़ शिक्षाओं में गुरु-प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षित करते हैं। उनके निर्देशन में अनेक अंतरराष्ट्रीय शिष्य वैदिक जीवनशैली को आत्मसात कर रहे हैं। यात्रा की विशेषता यह रही कि इस दौरान लीडरशिप ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया जो भगवान श्रीराम की शिक्षाओं पर आधारित थी। इस प्रशिक्षण को श्रीमद्भागवतम, रामायण ,रामचरितमानस और श्रील प्रभुपाद जी की शिक्षाओं के आलोक में प्रस्तुत किया गया। इसका उद्देश्य युवाओं एवं समाज के नेतृत्वकर्ताओं में सेवा करुणा त्याग और कर्तव्य परायणता के गुणों का विकास करना था। राम केवल अयोध्या के राजा ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व के नायक हैं। उन्होंने अपने जीवन से यह संदेश दिया कि मर्यादा, भक्ति, सेवा और त्याग से ही जीवन सार्थक बनता है। उन्होंने पुत्र, पति, राजा और साधु हर भूमिका में एक उच्चतम आदर्श स्थापित किया।
भक्ति प्रेम स्वामी महाराज एवं परम पूज्य भक्ति अर्जव प्रीति वर्धन स्वामी महाराज ने इस यात्रा में श्रीराम के इन्हीं आदर्शों को आधार बनाकर गहन नेतृत्व प्रशिक्षण प्रदान किया जिससे भक्तों ने सीखा कि किस प्रकार श्रीराम की शिक्षाओं को जीवन में उतारकर समाज को एक नई दिशा दी जा सकती है।जैसे हनुमान जी ने माता सीता को श्रीराम से मिलाया, उसी प्रकार श्रील ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी ने संपूर्ण विश्व को भगवान श्रीकृष्ण एवं सनातन धर्म से जोड़ा। उन्होंने हरिनाम संकीर्तन, श्रीमद्भागवतम एवं भगवद्गीता के दिव्य संदेश को दुनिया भर में फैलाया।आज यह यात्रा उसी दिव्य परंपरा का एक अभिन्न भाग है जिससे हर भक्त, हर व्यक्ति, हर परिवार हरिनाम एवं श्रीराम के आदर्शों से जुड़कर जीवन को परम लक्ष्य की ओर ले जा सके। यात्रा अयोध्या इस्कॉन के अध्यक्ष श्रीपाद षड्भुज गौर प्रभु के नेतृत्व में एवं श्रीपाद धीर गौर प्रभु, श्रीपाद गिरिराज प्रभु, श्रीपाद रामलीला प्रभु के सहयोग से आनंदपूर्वक सम्पन्न हुई। सभी भक्तों ने उत्साहपूर्वक यात्रा में भाग लिया।

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