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संगोष्ठी और भाषण प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
संदीप सिंह
प्रतापगढ़। डॉ. अम्बेडकर के जीवन से प्रेरणा लेते हुए अपने जीवन की दिशा तय करनी चाहिए। अंबेडकर के जीवन के सकारात्मक पहलुओं को अपने जीवन में कार्य रूप में परिणत कर हम सार्थक विचारों का पोषण करें और उन्हें अपने जीवन के निर्माण में उपकरण के रूप में प्रयोग करें। यह बातें डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित वर्तमान में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रासंगिकता विषयक संगोष्ठी में अपने अध्यक्षीय संबोधन में जवाहरलाल नेहरू स्मारक महाविद्यालय के प्राचार्य एवं संरक्षक प्रोफेसर (डॉ.) सीताराम सिंह ने विद्यार्थियों एवं जनसमूह को संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्रोफेसर (डॉ.) अनिता सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि डॉ. अंबेडकर के महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में किए गए क्रांतिकारी प्रयास अनुकरणीय है।
डॉ.अंबेडकर की संघर्ष के प्रति उनकी विजय भावना की प्रतिबद्धता से सीख लेनी चाहिए। कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर संतोष कुमार गौड़ ने कहा कि डॉ. आंबेडकर के जीवन के प्रत्येक संघर्ष से उपजी प्रेरणा को जीवन परिवर्तित करने के लिए एक हथियार के रूप में प्रयोग करने का आह्वान किया। अंबेडकर सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध ऐसे आंदोलन का नेतृत्व करते रहे जिन्होंने कालांतर में भारत की दशा और दिशा दोनों को परिवर्तित कर दिया। हिंदी विभाग के प्रोफेसर कृष्णकांत चंद्रा ने सभी वक्ताओं, उपस्थित अभ्यागतों तथा विद्यार्थियों के प्रति आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। संगोष्ठी का संचालन प्रोफेसर मनीष पाण्डेय ने किया। संगोष्ठी के पूर्व डॉ. भीमराव अम्बेडकर व्यक्तित्व एवं कृतित्व बिषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें बीए द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा सौम्या ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। बीए द्वितीय सेमेस्टर की ही छात्रा प्रतिमा ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। द्वितीय सेमेस्टर के छात्र प्रेम नारायण गुप्ता ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। द्वितीय सेमेस्टर के छात्र देवानन्द यादव को सांत्वना पुरस्कार से सम्मानित किया गया।