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नियमों की उड़ रही धज्जियाँ
रूपा गोयल
बाँदा। जिले के हटेटी पुरवा खंड-2 बालू खदान में अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है। भारी पोकलैंड मशीनों के जरिए नदी की जलधारा को बेतरतीब ढंग से छलनी किया जा रहा है जिससे पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंच रही है। जलचर जीवों की लगातार हो रही मौतें इस विनाशकारी खनन की भयावह तस्वीर पेश कर रही हैं। बावजूद इसके प्रशासनिक स्तर पर चुप्पी बनी हुई है। खनन माफिया द्वारा स्वीकृत सीमा से बाहर खनन कर सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जबकि एनजीटी के सख्त दिशा-निर्देश और उत्तर प्रदेश की खनिज नीति यह स्पष्ट रूप से कहती है कि नदी की पारिस्थितिकी को किसी भी हाल में क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए लेकिन हकीकत यह है कि खदान में प्रतिबंधित मशीनें रात-दिन बेरोकटोक चल रही हैं। स्थानीय प्रशासन और खनिज विभाग को इस अवैध गतिविधि की पूरी जानकारी होने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं और वे खुलेआम नियमों को ताक पर रखकर खनन कार्य में जुटे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब इस अवैध खनन पर लगाम लगेगी? कब सरकार और जिम्मेदार विभाग अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे। जब तक इन सवालों का जवाब नहीं मिलता, तब तक पर्यावरणीय संतुलन और सरकारी राजस्व की यह क्षति जारी रहेगी।


















