सनबीम स्कूल में ‘शून्य 7.0’ अन्तर्विद्यालयी त्रिकोणीय शैक्षिक अधिसंज्ञान प्रतिस्पर्धा का हुआ आयोजन

दीपक कुमार
मुगलसराय, चंदौली। शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं होती, वह विचारों की उड़ान से विस्तार पाती है। इसी उद्देश्य को साकार करते हुए दुलहीपुर स्थित सनबीम स्कूल मुगलसराय द्वारा मंगलवार को एक विशिष्ट अंतर-विद्यालयी आयोजन—शून्य 7.0 का आयोजन हुआ। यह सम्पूर्ण कार्यक्रम भारतीय संविधान के 75 गौरवशाली वर्ष, विद्यालय की स्थापना की 20वीं वर्षगांठ व रवींद्रनाथ टैगोर तथा महान चित्रकार तैयब मेहता की जन्मशताब्दी के पावन अवसर पर आयोजित हुआ। इस प्रतिस्पर्धा में दिल्ली पब्लिक स्कूल गया, वाराणसी के समस्त सनबीम स्कूल व सनबीम स्कूल मऊ, सनबीम स्कूल सुल्तानपुर , सनबीम स्कूल दिलदार नगर, सनबीम स्कूल गाज़ीपुर, मेजबान विद्यालय सहित कुल 11 प्रतिष्ठित विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया।
यह आयोजन न केवल उनके बौद्धिक कौशल को तराशने का एक मौका था, बल्कि उनमें सामूहिक प्रयास और प्रतिस्पर्धात्मक भावना को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट अवसर भी था। इस प्रतिस्पर्धी प्रतियोगिता में निम्नलिखित तीन प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित हुई, जिसमें थिएटर, वाद-विवाद एवं विजुअल आर्ट इंस्टालेशन इत्यादि प्रतियोगिताएं हुई। इस कार्यक्रम का शुभारंभ विशिष्ट अतिथि मनीषा सिन्हा प्रधानाचार्या, रेडियंट स्कूल पटना व प्रतिष्ठित वीडियो इंस्टालेशन कलाकार श्री सहज उमंग सिंह भाटिया एवं ज्योत्स्ना आनंद प्रसिद्ध शिक्षाविद् वाराणसी, सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् और ज्ञान संसाधन क्यूरेटर प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा तुलसी वेदी पर दीप प्रज्ज्वलन कर व रवींद्रनाथ टैगोर जी डॉ. भीमराव अंबेडकर एवं बाबूजी के चित्र पर माल्यार्पण करके किया।
कार्यक्रम में पधारे हुए सभी अतिथियों का स्वागत व अभिनंदन विद्यालय के सेक्रेटरी यदुराज कानूडिया एवं डायरेक्टर श्वेता कानूडिया तथा एडिशनल डायरेक्टर श्रुति अग्रवाल व प्रबंधन सदस्य सुभाष तुलस्यान और प्रधानाचार्या सौमिता चटर्जी तथा उप-प्रधानाचार्य रामप्रताप सिंह ने पुष्प-गुच्छ व अंगवस्त्र भेंटकर किया। उद्घाटन समारोह में इस प्रतियोगिता का लक्ष्य और उद्देश्य बताते हुए प्रणव मुखर्जी ने प्रतिस्पर्धा के महत्वपूर्ण तीनों प्रतियोगिताओं पर प्रकाश डाला और उसके नियम बताएं। एटर प्रतियोगिता में राष्ट्रीय और राज्य स्तर की 11 टीमों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस प्रतियोगिता में प्रत्येक टीम को एक थीम दिया गया जिस पर प्रतिभागियों ने 9 मिनट की लघुनाटिका प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया।
उपर्युक्त प्रतियोगिता से उनकी बौद्धिक क्षमता, तार्किक सोच, दूरदर्शिता और कल्पना की शक्ति का मूल्यांकन किया गया। डिबेट-इस प्रतियोगिता में दो प्रकार की प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन किया गया—आशुभाषण और वाद-विवाद। आशुभाषण प्रतियोगिता में छात्रों को तात्कालिक विषय दिए गए, जिसपर उन्होंने अपनी सोच और तार्किक अभिव्यक्ति का प्रदर्शन किया। यह प्रतियोगिता छात्रों की त्वरित विचार शक्ति और आत्मविश्वास को परखने का एक उत्कृष्ट अवसर रही। वहीं दूसरी ओर अंग्रेजी के आशुभाषण प्रतियोगिता में बच्चों को पूर्व निर्धारित विषय दिए गए थे। प्रतिभागियों ने विषय के पक्ष और विपक्ष में अपने विचार प्रस्तुत किए जिससे उनकी तर्क शक्ति, भाषा पर पकड़ और विषय की गहन समझ उजागर हुई। इस प्रतियोगिता ने न केवल छात्रों के बौद्धिक कौशल को बढ़ाया, बल्कि उन्हें विचारों की विविधता के प्रति संवेदनशील बनाते हुए, स्वस्थ संवाद का महत्त्व भी सिखाया।
वहीं विजुअल आर्ट इंस्टॉलेशन प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रत्येक टीम को एक-एक शीर्षक दिया गया जिस पर प्रतिभागियों ने लेख लिखा और इस लेख पर आधारित चित्र भी बनाया। छात्रों के इस अनूठे कला-संयोजन ने कला और साहित्य के संगम को भी अभिव्यक्त किया जिससे दर्शक भाव-विभोर हो उठे। पुरस्कार वितरण करते हुए अतिथियों ने पुरस्कार प्रदान-कर छात्र-छात्राओं को बधाई दी। साथ ही उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि सफलता एवं पुरस्कार न केवल हमारा हौसला बढ़ाते है बल्कि भविष्य में कुछ बड़ा करने की प्रेरणा देते है। मेहनत के बल पर जीवन में कुछ भी उपब्धियां हासिल की जा सकती है। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंधन द्वारा संस्था के 20 वर्ष पूरे होने पर गहन कृतज्ञता के साथ उन स्तंभों को सम्मानित किया जिन्होंने विद्यालय की प्रारंभिक यात्रा से हमारे साथ कदम से कदम मिलाकर साथ निभाया।
ये वे सम्माननीय व्यक्तित्व हैं जिन्होंने अपनी निष्ठा, समर्पण और सेवा से विद्यालय को संवारने में अमूल्य योगदान दिया है— प्रेमशंकर दुबे, रवि रतन, निभा चौधरी, उर्मिला, बीके सिन्हा, सुरेश यादव, सीमा मिश्रा एवं सोनाली कपूर। विद्यालय की निदेशिका श्वेता कानूडिया ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारे विद्यालय की 20 वर्षों की यात्रा आज उस मुकाम पर है जहाँ हम भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ और तैयब मेहता जी की कला-यात्रा को भी एक साथ नमन कर रहे हैं। शून्य 7.0 एक ऐसा संगम है, जहाँ ज्ञान, कला और विचार एक ही छत के नीचे विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा तय करते हैं। यह आयोजन हमारे शैक्षिक परिवार के लिए गर्व का विषय है।
अंतर्विद्यालयी त्रिकोणीय शैक्षिक अधिसंज्ञान प्रतिस्पर्धा- ‘शून्य 7.0’ ने छात्रों की बौद्धिक क्षमता, रचनात्मकता और संवाद कौशल को निखारने का अवसर प्रदान किया। इस आयोजन ने न केवल उनका ज्ञानवर्धन किया, बल्कि विद्यार्थियों में सहयोग, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, और त्वरित सोच को भी प्रोत्साहित किया। विद्यालय की प्रधानाचार्या सौमिता चटर्जी ने कहा कि ‘शून्य 7.0’ हमारे विद्यालय की उस शिक्षण परंपरा का प्रतीक है, जहाँ शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं, बल्कि विद्यार्थियों की आत्मा, विचार और सृजनशीलता को आकार देती है। यह मंच छात्रों को न केवल प्रतिस्पर्धा में श्रेष्ठ बनने का अवसर देता है, बल्कि उन्हें सोचने, समझने और समाज के प्रति उत्तरदायी बनने की प्रेरणा भी देता है। विद्यालय के उप-प्रधानाचार्य रामप्रताप सिंह ने अतिथियों और विद्यार्थियों को धन्यवाद दिया और कहा कि इस प्रकार की शिक्षण सह-गामी क्रियाएं विद्यार्थियों के उत्थान में महती भूमिका निभाती है जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता है।
इस अवसर पर विद्यालय हेडमिस्ट्रेस वसुंधरा ऋषि और कोऑर्डिनेटर राजेश सिन्हा सहित समस्त शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

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